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दून के पाँखी

दिनेश कुमार सिंह

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :112
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 16138
आईएसबीएन :978-1-61301-726-5

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51 हृदयस्पर्शी कवितायें

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माँ - शब्द सुमन


आज मैं आपको "माँ" शब्द का
मतलब समझाता हूँ।
समझाना क्या, बस
अपनी माँ की बात बताता हूँ।

आज मैं आपको "माँ" शब्द का
मतलब समझाता हूँ।

मेरा जीवन,
जिसकी एक सौगात है।
जिसने दिया मुझे जान है।
जिसके दामन में, मैं खेला हूँ
जिसका होना ही
मेरी पहचान है।
उसकी उंगली थाम कर,
मैं अपना पहला कदम चला।
उसके विश्वास के पंखों पर
इस जीवन के
सफर पर निकला।
माँ, एक ऐसा एहसास है
जिसे मैं बयान नहीं कर सकता।
समंदर को मैं,
अपनी हथेलियों में
धर नहीं सकता ।

माँ जीवन की ऐसी पूँजी है
जिसके बिना,
कोई शुरुआत नहीं होती।
हम क्या, आप क्या,
ईश्वर भी नहीं होते
जो माँ नहीं होती।

मेरी जिंदगी है , मेरी माँ,
मेरी भक्ति है मेरी माँ।
जिसे अपने मन में रख कर,
मै हर लड़ाई लड़ लेता हूँ,
ऐसी शक्ति है मेरी माँ।

ऐसी ताकत, ऐसी ममता को
मै नमन करता हूँ।
अपने प्रेम के ये शब्द सुमन
उसके चरणों में
अर्पण करता हूँ ।    

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    अनुक्रम

  1. प्रथम पृष्ठ
  2. कविताक्रम
  3. माँ - शब्द सुमन

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